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आपदा में अवसर : लॉक डाउन में बची बियर से बिजली बना रहा है ये देश
Image Credits: Tek Deeps/Scientific
August 14, 2020
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कोरोना वायरस संक्रमण पर काबू पाने के लिए बाकी देशों की तरह ऑस्ट्रेलिया में भी लॉकडाउन लागू किया गया था. लॉकडाउन के चलते वहां के बीयर बार बंद हो गए और बाजार में बीयर की मांग न होने के कारण ब्रुअरीज के पास तैयार बीयर का भंडार भर गया.
इन दिनों दक्षिण ऑस्ट्रेलिया के एक प्रांत में एक्सपायर हो चुकी इस बीयर को बर्बाद करने की बजाय इससे वेस्टवाटर ट्रीटमेंट प्लांट में एक नया काम लिया जा रहा है. एडिलेड के पश्चिम में स्थित ग्लेनेल्ग वेस्टवाटर ट्रीटमेंट प्लांट में पिछले कुछ दिनों से बायोगैस बनाने के लिए बेकार हो चुकी बीयर का इस्तेमाल किया जा रहा है.
इस प्लांट में जैविक औद्योगिक कचरे को सीवर के कीचड में मिलाकर बायोगैस बनाई जाती है. इस बायोगैस का इस्तेमाल बाद में बिजली बनाने के लिए होता है, जिससे आम दिनों में प्लांट की जरूरत की 80 फीसदी उर्जा आवश्यकताओं की पूर्ति हो जाती है.
सीएनएन की रिपोर्ट के मुताबिक, कोरोना वायरस के चलते लगाए गए लॉकडाउन लगने के बाद इस प्लांट में बायोगैस के लिए बीयर का भी इस्तेमाल होने लगा है. इससे ऊर्जा उत्पादन में भी बढ़ोतरी हुई है. प्लांट की सीनियर मैनेजर लिजा हेनेंट (Lisa Hannant) ने बताया, “हर हफ्ते 1.5 लाख बेकार बीयर मिलाने से हमने मई में रिकॉर्ड 3 लाख 55 हज़ार 200 क्यूबिक मीटर और जून में 3.2 लाख क्यूबिक मीटर बायोगैस उत्पन्न की है, जो 1200 घरों की ऊर्जा की जरूरत को पूरा करने के लिए पर्याप्त है.”
लिजा कहती हैं कि बीयर प्लांट में लगी मशीनों के लिए बेहतर काम करती है. प्लांट में कंक्रीट के टैंकों की बात करते हुए लिजा कहती हैं कि इनमें बिना ऑक्सीजन के सीवर में आने वाले कीचड़ और कचरे को गर्म किया जाता है, जिससे मिथेन की अच्छी मात्रा वाली बायोगैस पैदा होती है. वो बताती हैं कि बीयर की कैलोरिफिक वैल्यू ज्यादा होने के कारण गर्म करने पर इससे निकलने वाली गैस पूरी प्रक्रिया को आसान बना देती है.
हिंदुस्तान टाइम्स के मुताबिक ऑस्ट्रेलिया में कोरोना वायरस के चलते मार्च के आखिर में लॉकडाउन लागू किया गया था. उसके बाद से ब्रूइंग उद्योग बुरी तरह प्रभावित हुआ है. मई में ऑस्ट्रेलिया की सबसे बड़ी ब्रुअरीज में से एक लॉयन बीयर ने कहा था कि उसकी 45 लाख लीटर बीयर न बिकने के चलते बेकार हो गई है. इतनी बड़ी मात्रा में बीयर को देशभर में बनी कंपनी की अलग-अलग ब्रुअरी में बने वेस्टवाटर ट्रीटमेंट प्लांट में डाला गया था, जिससे बायोगैस का उत्पादन किया गया.
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