
सचेत
CAG के ऑडिट में राफेल रक्षा सौदा शामिल नहीं है, रक्षा मंत्रालय ने जानकारी देने से किया इंकार
August 23, 2020
SHARES
नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (सीएजी) द्वारा रक्षा ऑफसेट कॉन्ट्रैक्ट्स की परफॉर्मेंस रिपोर्ट सरकार को सौंपे जाने के आठ महीने बाद संघीय ऑडिटर के शीर्ष सूत्र ने खुलासा किया है कि इस रिपोर्ट में रफाल विमान के ऑफसेट सौदे का कोई उल्लेख नहीं है.
टाइम्स ऑफ़ इंडिया की खबर में लिखा है कि महालेखा परीक्षक ( सीएजी ) द्वारा सरकार को रक्षा ऑफसेट अनुबंधों पर अपना प्रदर्शन लेखा- जोखा प्रस्तुत करने के आठ महीने बाद , संघीय लेखा परीक्षक के एक शीर्ष सूत्र ने खुलासा किया है कि रिपोर्ट में राफेल विमानों से संबंधित किसी भी ऑफसेट सौदे का कोई उल्लेख नहीं है. सरकार को संसद के समक्ष रिपोर्ट पेश करना बाकी है. रक्षा मंत्रालय (MoD) ने ऑडिटर को राफेल ऑफसेट सौदों से संबंधित किसी भी जानकारी से इनकार किया है. ऑडिट में शामिल लोगों के अनुसार, MoD ने संघीय ऑडिटर को सूचित किया है कि राफेल के फ्रांसीसी निर्माता डसॉल्ट एविएशन ने कहा है कि वह अनुबंध के तीन साल बाद ही अपने ऑफसेट भागीदारों के किसी भी विवरण को साझा करेगा.
बता दें कि पिछले महीने फ्रांस से भारत को पांच रफाल लड़ाकू विमानों की पहली खेप हासिल हुई. 36 विमानों का यह सौदा 59,000 करोड़ रुपये में हुआ है. साल 2016 में अंतर-सरकारी समझौते पर हस्ताक्षर के बाद दासो एविएशन 36 से 67 महीने के बीच सभी विमानों को उड़ती हालत में मुहैया कराने पर सहमत हुआ था.
ऐसा पता चला है कि दिसंबर 2019 में सरकार को सौंपे गए अपने परफॉर्मेंस ऑडिट रिपोर्ट में सीएजी ने केवल 12 रक्षा ऑफसेट सौदों की समीक्षा की है.
कांग्रेस रफाल करार में बड़े पैमाने पर अनियमितता के आरोप लगाती रही है. वह विमान निर्माण के लिए दासो एविएशन के ऑफसेट पार्टनर के तौर पर हिंदुस्तान एरोनॉटिक्स लिमिटेड (एचएएल) की जगह अनिल अंबानी की अगुवाई वाली रिलायंस डिफेंस के चयन पर भी मोदी सरकार पर हमलावर रही है.
Money was stolen from the Indian exchequer in Rafale.
“Truth is one, paths are many.”
Mahatma Gandhihttps://t.co/giInNz3nx7— Rahul Gandhi (@RahulGandhi) August 22, 2020
14 दिसंबर, 2018 को अपने फैसले में सुप्रीम कोर्ट ने रफाल सौदे में जांच की मांग वाली सभी याचिकाएं ख़ारिज कर दी थीं और कोर्ट की निगरानी में जांच की मांग को भी ठुकरा दी थी.
इसके बाद 21 फरवरी, 2019 को रफाल सौदे को लेकर दायर पुनर्विचार याचिका पर सुप्रीम कोर्ट सुनवाई को तैयार हो गया था.
रफाल सौदे की स्वतंत्र जांच की मांग करने वाली अपनी याचिका खारिज होने के बाद, पूर्व मंत्री अरुण शौरी और यशवंत सिन्हा के साथ-साथ वरिष्ठ वकील प्रशांत भूषण सुप्रीम कोर्ट में पुनर्विचार याचिका दायर कर फैसले की समीक्षा की मांग की थी.
‘द हिंदू’ अख़बार ने फरवरी, 2019 में दावा किया था कि फ्रांस की सरकार के साथ रफाल समझौते को लेकर रक्षा मंत्रालय के साथ-साथ पीएमओ भी समानांतर बातचीत कर रहा था.
अपने विचारों को साझा करें