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73 दिनों के अंदर कोविशील्ड वैक्सीन बाजार में आएगी वाली ख़बर पर सीरम इंस्टीट्यूट ने ये कहा है
Image Credits: moneycontrol
August 24, 2020
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सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया (SII) ने स्पष्ट किया है कि भारत सरकार ने संभावित कोविशील्ड (Covishield) वैक्सीन को लेकर कंपनी को केवल उत्पादन और भविष्य में इस्तेमाल के लिए स्टॉक तैयार करने की अनुमति दी है. इसके साथ ही सीरम इंस्टीट्यूट ने कहा कि कोविशील्ड की उपलब्धता को लेकर मीडिया में चल रहे दावे पूरी तरह झूठे और खुद से मान लिए गए हैं.
बता दें कि ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी और एस्ट्राजेनेका द्वारा विकसित की जा रही कोविड19 की संभावित वैक्सीन का उत्पादन पुणे की सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया करने वाली है. इसी वैक्सीन की बिक्री कोविशील्ड ब्रांड नाम से की जाएगी. कुछ मीडिया रिपोर्ट्स में ऐसा कहा गया कि 73 दिनों के अंदर कोविशील्ड वैक्सीन बाजार में आ जाएगी और भारतीयों का फ्री में वैक्सीनेशन होगा. इन रिपोर्ट्स को लेकर ही सीरम इंस्टीट्यूट ने स्पष्टीकरण जारी किया है.
We would like to clarify that the current media claim on COVISHIELD's availability in 73 days is misleading.
Phase-3 trials are still underway. We will officially confirm it’s availability.
Read clarification statement here – https://t.co/FvgClzcnHr#SII #COVID19 #LatestNews pic.twitter.com/mQWrqgbzO4
— SerumInstituteIndia (@SerumInstIndia) August 23, 2020
सफल साबित होने पर कंपनी करेगी आधिकारिक पुष्टि
हिंदुस्तान टाइम्स की खबर के अनुसार सीरम इंस्टीट्यूट की ओर से कहा गया कि कोविशील्ड को ट्रायल्स में सफल साबित होने और सभी जरूरी नियामकीय मंजूरियां मिल जाने के बाद ही कमर्शियलाइज्ड किया जाएगा. Oxford-AstraZeneca वैक्सीन के तीसरे व आखिरी चरण के ट्रायल्स चल रहे हैं. वैक्सीन के इम्यूनोजेनिक और प्रभावी साबित होने के बाद ही सीरम इंस्टीट्यूट इसकी उपलब्धता की आधिकारिक पुष्टि करेगी.
बिल एंड मेलिंडा गेट्स फाउंडेशन के साथ समझौता
इस माह की शुरुआत में सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया ने इंटरनेशनल वैक्सीन अलायंस Gavi और बिल एंड मेलिंडा गेट्स फाउंडेशन के साथ नया समझौता किया था. इसके तहत भारत और दूसरे कम व मध्य आय वाले देशों (LMICs) के लिए कोविड-19 वैक्सीन की मैक्सिमम 10 करोड़ डोज की मैन्युफैक्चरिंग और डिलीवरी में तेजी लाई जाएगी. बिल एंड मिलिंडा गेट्स फाउंडेशन गावी को 15 करोड़ डॉलर की फंडिंग उपलब्ध कराएगी, जिसका इस्तेमाल सीरम इंस्टीट्यूट को संभावित वैक्सीन को बनाने में सहयोग देने के लिए होगा.
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