
ख़बरें
IIT दिल्ली के निदेशक और 150 से अधिक शिक्षाविदों ने JEE-NEET की परीक्षा पर ये बात कह दी है
Image Credits: Times Of India/Business Insider
August 27, 2020
SHARES
देश भर में इस वक्त कोरोना काल में जेईई मेन और नीट यूजी परीक्षा आयोजित करने को लेकर बहस छिड़ी हुई है। छात्र, अभिभावक के बाद तमाम राजनैतिक दलों ने भी इन परीक्षाओं के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है। कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी से लेकर पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी सितंबर में इंनीनयरिंग और मेडिकल की प्रवेश परीक्षाएं कराने के विरोध में हैं। केंद्र सरकार के इस फैसले के खिलाफ यह राजनैतिक दल अब एकजुट होकर सुप्रीम कोर्ट जाने की तैयारी कर रहे हैं।
इस बीच भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (IIT) दिल्ली के डायरेक्टर वी रामगोपाल राव (V. Ramgopal Rao) ने कहा कि संयुक्त प्रवेश परीक्षा (JEE) और राष्ट्रीय पात्रता सह प्रवेश परीक्षा (NEET) की परीक्षाओं में और देरी का ना केवल अकादमिक कैलेंडर पर बल्कि प्रतिभाशाली छात्रों के कॅरियर पर भी गंभीर असर पड़ेगा।
इंडियन एक्सप्रेस के मुताबिक उन्होंने कहा, ‘इन परीक्षाओं में और देरी करने से आईआईटी के अकादमिक कैलेंडर और अभ्यर्थियों के लिए गंभीर परिणाम हो सकते हैं। लाखों विद्यार्थियों के लिए यह अकादमिक सत्र बेकार चला जाएगा।’
I got caught up in the TV debates on postponement of JEE/NEET exams 😔. These debates create more heat than light. Also,…
Posted by Ramgopal Rao on Friday, 21 August 2020
उन्होंने फेसबुक पर लिखा, यह लाखों छात्रों के लिए एक शून्य शैक्षणिक वर्ष बन जाएगा। हमारे शैक्षणिक कैलेंडर पहले से ही बहुत अधिक पहले से ही पैक्ड है और बहुत सी अन्य चीजों से जुड़े हुई है। ऐसे में और देरी उज्ज्वल छात्रों के करियर को प्रभावित कर सकती है। इस संबंध में राव ने आगे कहा कि महामारी के कारण हम पहले ही छह महीने खो चुके हैं। अब अगर परीक्षाएं सितंबर में आयोजित की जाती हैं, तो IIT के लिए शैक्षणिक सत्र दिसंबर से शुरू हो सकता है। उन्होंने कहा कि परीक्षा पैटर्न के साथ छेड़छाड़ करना “हानिकारक और सभी के लिए अनुचित हो सकता है।
उन्होंने छात्रों से भी अपील की कि वे संस्थानों पर भरोसा करें और कोविड-19 के सुरक्षा दिशा-निर्देशों का कड़ाई से पालन करते हुए प्रवेश परीक्षाओं में बैठें।
150 से अधिक शिक्षाविदों का पीएम मोदी को पत्र
भारत सहित दुनियाभर के विभिन्न विश्वविद्यालयों के 150 से अधिक शिक्षाविदों ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिखकर कहा है कि मेडिकल और इंजीनियरिंग प्रवेश परीक्षा जेईई-मेन्स और नीट में यदि और देरी होती है तो इससे छात्रों का भविष्य प्रभावित होगा। लगातार बढ़ रहे कोरोना संक्रमितों की वजह से सितंबर में इन परीक्षाओं के होने वाले आयोजन के खिलाफ हो रहे विरोध का उल्लेख करते हुए इन शिक्षाविदों ने कहा, ‘‘कुछ लोग अपने राजनीतिक एजेंडे को आगे बढ़ाने के लिए छात्रों के भविष्य के साथ खेलने की कोशिश कर रहे हैं।“
पत्र में कहा गया है, “युवा और छात्र राष्ट्र के भविष्य हैं लेकिन कोविड महामारी की वजह से उनके करियर पर अनिश्चितताओं के बादल छाएं हुए हैं। प्रवेश और सत्र को लेकर बहुत सारी आशांकाएं हैं, जिन्हें जल्द हल करने की जरूरत है।
इस पत्र पर हस्ताक्षर करने वाले में आईआईटी दिल्ली, दिल्ली विश्वविद्यालय, जेएनयू, बीएचयू, इग्नू, लखनऊ विश्वविद्यालय के अलावा लंदन विश्वविद्यालय, कैलिफोर्निया विश्वविद्यालय, हिब्रू यूनिवर्सिटी ऑफ यरुशलम और इजराइल के बेन गुरियन विश्वविद्यालय के भारतीय शिक्षाविद शामिल हैं।
इन शिक्षाविदों का मानना हैं कि केंद्र सरकार पूरी सावधानी बरतते हुए जेईई और नीट परीक्षाएं आयोजित करा लेगी, ताकि छात्रों के भविष्य का ध्यान रखा जा सके और 2020-21 के लिए अकादमिक कैलेंडर तैयार किया जा सके।
अपने विचारों को साझा करें