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झारखंड सीएम हेमंत सोरेन ने पीएम मोदी को खत लिखकर मांगा GST बकाया
September 8, 2020
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झारखंड के के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने शुक्रवार को ट्वीट करके बताया कि उन्होंने आज प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को एक पत्र लिखा। इस पत्र के जरिये उन्होंने पीएम को बताया है कि राज्य को जीएसटी के पैसे देने में केंद्र कितनी अड़चनें डाल रहा है। इस पर झारखंड मुक्ति मोर्चा (झामुमो) ने मुख्यमंत्री का आभार जताया, तो राज्य के किसी युवक ने रिप्लाई करते हुए मुख्यमंत्री से कहा, ‘रुकी हुई सारी वैकेंसी क्लियर करवाइए सरजी…’
जीएसटी के निर्णय का विरोध
हाल ही जीएसटी काउंसिल की बैठक में लिये निर्णय का विरोध करने के बाद उन्होंने प्रधानमंत्री को पत्र लिख आपत्ति जताई है। आग्रह किया है कि प्रधनमंत्री इस मामले में हस्तक्षेप करते हुए कंपनसेशल का 2500 करोड़ रुपये झारखंड को दिलायें। इसके पूर्व प.बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने इसी मसले पर प्रधानमंत्री को पत्र लिखा है।
जीएसटी काउंसिल की बैठक में केंद्रीय वित्त मंत्री के सुझाव का आधा दर्जन से अधिक गैर भाजपा शासित प्रदेशों ने विरोध किया है। राज्यहित को लेकर हेमंत सोरेन लगातार केंद्र के खिलाफ हमलावर मुद्रा में रहे हैं, इसके पहले हेमंत सोरेन ने कोल ब्लॉक की कामर्शियल माइनिंग, कोविड काल में नीट व जेइइ परीक्षा के केंद्र के फैसले की कड़ी आलोचना की थी।
जीएसटी बकाया देने की गुज़ारिश
मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को संबोधित तीन पन्ने की एक चिट्ठी शेयर की। उसके साथ लिखा कि उन्होंने जीएसटी मुआवजा मिलने में केंद्र की ओर से खड़ी की जा रही बाधाओं के बारे में प्रधानमंत्री का ध्यान आकृष्ट कराया है। श्री सोरेन ने कहा कि उन्होंने पीएम से अपील की है कि सहकारी संघीय ढांचे को बचाये रखने के लिए इस मामले में हस्तक्षेप करें और वित्त मंत्रालय को जरूरी निर्देश दें।
Today I have written to Hon'ble @PMOIndia to convey our deep concerns with regard to hurdles in the payment of GST compensation by Central Govt to the States & have requested the PM to intervene & advise the @FinMinIndia to uphold the spirit of Cooperative Federalism in practice. pic.twitter.com/m5IShVbfJW
— Hemant Soren (घर में रहें – सुरक्षित रहें) (@HemantSorenJMM) September 4, 2020
प्रधानमंत्री को लिखे पत्र में हेमंत सोरेन ने कहा है कि एक जुलाई 2017 के प्रभाव से जीएसटी लागू किया गया है। इसे लागू करते समय केंद्र ने राज्यों से कहा था कि अगले पांच साल तक राज्यों को इस फार्मूले के कारण होने वाले राजस्व की भरपाई केंद्र सरकार करेगी। मगर हाल ही जीएसटी काउंसिल की बैठक में केंद्रीय वित्त मंत्री ने राज्यों को कर्ज लेने का सुझाव दिया।
हेमंत सोरेन ने केंद्र द्वारा ही कर्ज लेकर राज्यों को जीएसटी कंपनसेशन का बकाया अदा करने का अनुरोध किया है। कोरोना संक्रमण के बीच राज्य की खराब माली हालत की चर्चा करते हुए कहा है कि राज्य सरकार के पास अपने कर्मचारियों को वेतन देने के लिए भी पैसे की किल्लत है। इसी दौरान राज्य के बाहर से करीब सात लाख कामगार वापस लौटे हैं उन्हें भी रोजगार मुहैया कराने के लिए पैसे की जरूरत है। जन सरोकार के और भी काम हैं जिसके लिए पैसे की दरकार है। याद दिलाया है कि झारखंड से सिर्फ खनिज क्षेत्र से सेस कंपनसेशन के रूप में पांच हजार करोड़ रुपये केंद्र को हासिल होता है मगर झारखंड को महज 150 करोड़ रुपये मासिक मिलता है।
जीएसटी काउंसिल की बैठक के तुरंत बाद मुख्यमंत्री के बयान के बाद सत्ताधारी दल और विपक्ष के बीच आरोप-प्रत्यारोप का सिलसिला भी चलता रहा। जीएसटी काउंसिल की बैठक में शामिल राज्य के वित्त मंत्री रामेश्वर उरांव के अनुसार नोटबंदी, गलत जीएसटी और बिना सोचे, बिना तैयारी लॉकडाउन के कारण देश की अर्थव्यवस्था चौपट हुई है।
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