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रिपोर्ट: 34 करोड़ 70 लाख बच्चे स्कूलों के बंद होने से पोषाहार के लाभ से वंचित हैं
September 11, 2020
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कोरोना महमारी की वजह से बच्चों पर मडराते वैश्विक संकट पर चर्चा के लिए आयोजित दो दिवसीय लॉरियेट्स एंड लीडर्स फॉर चिल्ड्रेन समिट में बुधवार को ‘फेयर शेयर फॉर चिल्ड्रेन- प्रिवेंटिंग द लॉस ऑफ ए जेनरेशन टू कोविड-19’ नामक एक रिपोर्ट जारी की गई।
रिपोर्ट में बताया गया है कि जी-20 देशों द्वारा वित्तीय राहत के रूप में 8.02 ट्रिलियन अमेरिकी डॉलर देने की घोषणा की गई थी, लेकिन उसमें से अभी तक केवल 0.13 प्रतिशत या 10.2 बिलियन अमेरिकी डॉलर ही कोविड-19 महामारी के दुष्प्रभावों से लड़ने के मद में आवंटित किया गया है। रिपोर्ट में दुनिया के करोड़ों बच्चों के भविष्य की रक्षा के प्रति अमीर सरकारों के असमान आर्थिक रुख को भी दर्शाया गया है।
इस शिखर सम्मेलन का आयोजन कैलाश सत्यार्थी चिल्ड्रेन्स फाउंडेशन (केएससीएफ) द्वारा किया गया है।
रिपोर्ट के मुताबिक, कोरोना महामारी की वजह से स्कूलों के बंद रहने से दुनिया के करीब एक अरब बच्चों की शिक्षा तक पहुंच संभव नहीं हो पा रही है। घर पर इंटरनेट की अनुपलब्धता के कारण 40 करोड़ से अधिक बच्चे ऑनलाइन शिक्षण कार्यक्रमों का उपयोग करने में असमर्थ हैं। 34 करोड़ 70 लाख बच्चे स्कूलों के बंद होने से पोषाहार के लाभ से वंचित हैं। परिवारों के पास खाना नहीं होने से सबसे कम उम्र के बच्चे सबसे अधिक प्रभावित होते हैं। इसलिए अगले छह महीने में 5 साल से कम उम्र के 10 लाख 20 हजार से अधिक बच्चों के कुपोषण से काल के गाल में समा जाने का अनुमान है। वहीं, टीकाकरण योजनाओं के बाधित होने से एक वर्ष या उससे कम उम्र के 8 करोड़ बच्चों में बीमारी का खतरा बढ़ गया है।
.@ipsnews interviews Nobel Peace Laureate @k_satyarthi on the eve of #FairShare4Children Summit, a global virtual conference, hosted by Laureates and Leaders for Children from Sept. 9-10 @WithEveryChild @LLSummit2020 https://t.co/8ycr88hkwp
— Satyarthi Foundation (@KSCFIndia) September 8, 2020
कोरोना महामारी से पैदा हुए आर्थिक संकट की वजह से घरेलू आय में भारी कटौती से सबसे गरीब परिवारों के बच्चों का स्कूल जाना बंद हुआ है, जिससे वे बाल श्रम, गुलामी, दुर्व्यापार और बाल विवाह करने को मजबूर हुए हैं। जहां लॉकडाउन में कमी आई है, वहां बाल श्रमिकों को फिर से काम पर वापस लाया जा रहा है। भारत में भी यह खतरा मंडरा रहा है। भारत के चार करोड़ से अधिक कामगारों को 25 मार्च से 31 मार्च के बीच सरकारी सहायता प्रणालियों की भारी उदासीनता का खामियाजा भुगतना पड़ा। इस दौरान बच्चों के साथ हिंसा या दुर्व्यवहार की घटनाएं लॉकडाउन के दौरान तेजी से बढ़ी हैं। स्कूल जो उन्हें दुर्व्यवहार करने वालों से सुरक्षा प्रदान करते हैं, उसके बंद होने के कारण ऐसा परिवर्तन देखा जा रहा है। दूसरी ओर बच्चों को चाइल्ड लाइन वगैरह से जो सुरक्षा मिलती थी, वहां तक सीमित पहुंच के कारण भी उनकी सुरक्षा को दोहरा झटका लगा है।
बता दें कि इस समिट का आयोजन कैलाश सत्यार्थी चिल्ड्रेन्स फाउंडेशन द्वारा किया जा रहा है। इस समिट का आयोजन 9 और 10 सितंबर 2020 को किया गया है। श्री कैलाश सत्यार्थी की अगुआई में आयोजित इस समिट में शामिल होने वाली प्रमुख हस्तियों में नोबेल शांति पुरस्कार से सम्मानित प्रसिद्ध तिब्बती धर्मगुरु दलाई लामा, स्वीडन के प्रधानमंत्री श्री स्टीफन लोफवेन, भारत की महिला एवं बाल विकास मंत्री श्रीमति स्मृति ईरानी, यूनिसेफ की कार्यकारी निदेशक हेनरिता फोर, विश्व स्वास्थ्य संगठन के महानिदेशक डॉ. टेड्रोस घेब्रेयसस, अंतरराष्ट्रीय श्रम संगठन के महानिदेशक श्री गाय राइडर के नाम शामिल हैं।
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