
सप्रेक
मिलिए बिहार के दूसरे दसरथ मांझी ‘लौंगी भुइयां’ से जिन्होनें 30 साल में तीन किलोमीटर नहर बना डाली
Image Credits: Twitter/ANI
September 13, 2020
SHARES
बिहार में दशरथ मांझी के नाम से बहुत लोग परिचित हैं जिन्होनें पहाड़ काटकर रास्ता निकाला था। बिहर में अब यहां एक और व्यक्ति की कहानी सामने आयी है जिन्होने मांझी जैसी हिम्मत दिखाई और तीन किलोमीटर लंबी नहर खोदकर गांव के खेतों में पानी ले आए।
ये वाक्या है बिहार में गया जिले के इमामगंज और बांकेबाजार की सीमा पर जंगल में बसे कोठीलवा गांव के लौंगी भुइयां की। लौंगी ने पास की पहाड़ी पर स्थित जलस्त्रोत से गांव के खेतों में पानी पहुंचाया है।
Bihar: A man has carved out a 3-km-long canal to take rainwater coming down from nearby hills to fields of his village, Kothilawa in Lahthua area of Gaya. Laungi Bhuiyan says, "It took me 30 years to dig this canal which takes the water to a pond in the village." (12.09.2020) pic.twitter.com/gFKffXOd8Y
— ANI (@ANI) September 12, 2020
तीस साल में तीन किलोमीटर नहर
एएनआई से बात करते हुए लौगी ने बताया कि इस असंभव से लगने वाले काम को लौंगी ने अकेले अंजाम दिया है। वो भी तीस सालों से वो इस नहर की खुदाई में लगे थे।
इस बारे में बताते हुए उन्होंने कहा, “यह नहर खोदने में मुझे 30 साल लगे। यह पहाड़ी से पानी को गांव के तालाब तक लेकर जाती है। 30 सालों से मैं अपने पशुओं को जंगल में ले जाता और नहर की खुदाई करता। इस काम में कोई दूसरा व्यक्ति मेरे साथ नहीं आया था।”
लौंगी भुइयां का गांव कोठीलवा गया जिला मुख्यालय से 80 किलोमीटर दूर घने जंगलों और पहाड़ों से घिरा हुआ है। कई घटनाएं ऐसी हो गई हैं, जब नक्सलियों ने यहां पर शरण ली है। यहां के लोगों की आजीविका खेती और पशुपालन से चलती है। बारिश के दिनों में पहाड़ों से बहकर नीचे आने वाला पानी आसपास की फसलों को बर्बाद कर देता था। इसके बाद लौंगी ने इस पानी को गांव तक लाने के लिए नहर बनाने की सोची।
रोज़गार के लिए बाहर जाते हैं लोग
लौंगी बताते हैं कि उनसे रोजगार की तलाश में गांव के लोगों को घर छोड़कर दूसरी जगहों पर पलायन करते हुए देखा नहीं गया। इसलिए उन्होंने यह नहर खोदने की कोशिश शुरू की ताकि गांव में पानी आ सके और खेतों में फसलें हो सके।
उन्होंने कहा, “गांव के लोग नौकरियों और रोजगार के लिए शहरों की तरफ जा रहे थे, लेकिन मैंने यहीं रुकने का फैसला किया।”
आज उनकी मेहनत का नतीजा सबके सामने है। शुरुआत में जब लौंगी खुदाई के लिए कुदाल आदि लेकर निकलते थे तो लोग उनका मजाक उड़ाते थे। लोग उनकी इस कोशिश को देखकर उन्हें पागल कहने लगे थे, लेकिन उन्होंने कभी इसकी परवाह नहीं की और अपना काम करते गए।
एक स्थानीय निवासी बताते हैं कि लौंगी पिछले 30 सालों में अकेले नहर खोदने के काम में लगे हुए हैं। इससे न सिर्फ गांवों के पशुओं को फायदा होगा बल्कि खेतों की भी सिंचाई हो सकेगी। वो यह सब अपने लिए नहीं बल्कि पूरे इलाके के लिए कर रहे हैं।
लोग उनके काम की वजह से लौंगी को जानने लगे हैं।
गांव के मुखिया ने कहा कि वो लौंगी के लिए सरकारी सहायता का इंतजाम कराने में लगे हुए हैं।
अपने विचारों को साझा करें