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सुदर्शन चैनल के ‘बिंदास बोल’ कार्यक्रम पर सुप्रीम कोर्ट की फटकार, रेवेन्यू मॉडल पर भी नज़र रखने की बात की
September 16, 2020
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सुप्रीम कोर्ट ने नौकरशाही में मुसलमानों की कथित घुसपैठ को लेकर सुदर्शन टीवी के ‘बिंदास बोल’ कार्यक्रम के प्रसारण पर रोक लगा दी है. शीर्ष अदालत ने सुदर्शन न्यूज को आज और कल ‘बिंदास बोल’ कार्यक्रम प्रसारित नहीं करने का निर्देश दिया. मामले की सुनवाई 17 सितंबर को होगी.
सुप्रीम कोर्ट में तीन जजों की खंडपीठ की अध्यक्षता कर रहे न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ ने कहा कि इस चैनल की ओर से किए जा रहे दावे घातक हैं और इनसे यूपीएसी की परीक्षाओं की विश्वसनीयता पर लांछन लग रहा है और ये देश का नुक़सान करता है.
जस्टिस चंद्रचूड़ ने कहा, “एक ऐंकर आकर कहता है कि एक विशेष समुदाय यूपीएससी में घुसपैठ कर रहा है. क्या इससे ज़्यादा घातक कोई बात हो सकती है. ऐसे आरोपों से देश की स्थिरता पर असर पड़ता है और यूपीएससी परीक्षाओं की विश्वसनीयता पर लांछन लगता है.”
उन्होंने कहा कि हर व्यक्ति जो यूपीएससी के लिए आवेदन करता है वो समान चयन प्रक्रिया से गुज़रकर आता है और ये इशारा करना कि एक समुदाय सिविल सेवाओं में घुसपैठ करने की कोशिश कर रहा है, ये देश को बड़ा नुक़सान पहुँचाता है.
Any attempt to vilify a community must be viewed with great disfavour by this court which is a custodian of constitutional rights : SC#SudarshanNews #SureshChavhanke @SudarshanNewsTV @SureshChavhanke
— Live Law (@LiveLawIndia) September 15, 2020
कोर्ट ने कहा, ‘प्रोग्राम में मुस्लिमों की अपर एज लिमिट और वो कितनी बार परीक्षा दे सकते हैं, इसे लेकर कई फैक्चुअली गलत दावे किए गए हैं. सभी समुदायों का को-एग्जिस्टेंस लोकतंत्र का मूल है. ऐसे में किसी भी धर्म को विलेन की तरह प्रस्तुत करने की कोशिश का समर्थन नहीं किया जा सकता है.’
कोर्ट ने कहा कि अगले आदेश तक सुदर्शन न्यूज़ टीवी अपने शो के बचे हुए एपिसोड प्रसारित नहीं कर सकता है. नाम बदलकर भी प्रसारण करने पर रोक रहेगी.
SC ने प्रस्ताव दिया कि मीडिया की भूमिका पर विचार कर सुझाव देने के लिए गणमान्य नागरिकों की एक 5 सदस्यीय कमिटी बनाई जाए, जिसकी अध्यक्षता सुप्रीम कोर्ट के कोई पूर्व जज या हाई कोर्ट के पूर्व चीफ जस्टिस करें. 17 सितंबर को इस पहलू पर भी सुनवाई होगी.
इसके साथ ही कोर्ट ने तीन बातें दो टूक कहीं
1. दुनिया में कहीं भी प्रेस को अमेरिका जितनी आज़ादी नहीं है. भारत में देश की जनता को मिलने वाली आज़ादी के आधार पर प्रेस की आज़ादी तय होती है.
2. फायदे के लिए नफरत फैलाने का मॉडल यहां काम नहीं करेगा. सुप्रीम कोर्ट के रेगुलेशन से इसके लिए कड़े कदम उठाएंगे.
3. ये आज़ादी के लिए अच्छा नहीं है. लेकिन ये भी सच है कि मीडिया ने हद पार की है और कोर्ट ये बर्दाशत नहीं करेगा.
न्यूज़ चैनलों के रेवेन्यू मॉडल पर बात करते हुए जस्टिस जोसेफ ने कहा “हमें विज़ुअल मीडिया की ओनरशिप पर भी गौर करने की ज़रूरत है. कंपनी का पूरा शेयरहोल्डिंग पैटर्न उनकी वेबसाइट पर होना चाहिए, ताकि पब्लिक देख सके. कंपनी के रेवेन्यू मॉडल पर भी नज़र रखनी चाहिए, ताकि ये देखा जा सके कि कहीं सरकार एक चैनल को ज्यादा और दूसरे को कम ऐड तो नहीं दे रही.”
विवादास्पद ट्वीट
इसके पहले 25 अगस्त सुदर्शन न्यूज़ के एडिटर इन चीफ सुदर्शन चव्हाणके ने एक ट्वीट किया. लिखा,
“सावधान. लोकतंत्र के सबसे महत्वपूर्ण स्तंभ कार्यपालिका के सबसे बड़े पदों पर मुस्लिम घुसपैठ का पर्दाफ़ाश. #UPSC_Jihad #नौकरशाही_जिहाद. देश को झकझोर देने वाली इस सीरीज़ का लगातार प्रसारण प्रतिदिन. शुक्रवार 28 अगस्त रात 8 बजे से सिर्फ सुदर्शन न्यूज़ पर.”
#सावधान
लोकतंत्र के सबसे महत्वपूर्ण स्तंभ कार्यपालिका के सबसे बड़े पदों पर मुस्लिम घुसपैठ का पर्दाफ़ाश.देश को झकझोर देने वाली इस सीरीज़ का लगातार प्रसारण प्रतिदिन. शुक्रवार 28 अगस्त रात 8 बजे से सिर्फ सुदर्शन न्यूज़ पर.@narendramodi @RSSorg pic.twitter.com/B103VYjlmt
— Suresh Chavhanke “Sudarshan News” (@SureshChavhanke) August 25, 2020
ट्रेलर सामने आने के बाद से ही इसे लेकर चौतरफा आलोचना शुरू हो गई है और कार्यक्रम का लहजा सांप्रदायिक होने के कारण इस पर तत्काल कार्रवाई की मांग की जा रही थी.
टीज़र में वो पूछते दिख रहे हैं कि “हाल ही में मुस्लिम IPS और IAS अधिकारियों की संख्या कैसे बढ़ी है?” “क्या होगा अगर ‘जामिया के जिहादी’ देश में सत्ता के पदों पर आसीन हो जाए?”
भारतीय पुलिस फाउंडेशन ने भी वीडियो पर प्रतिक्रिया दी और इसे शुद्ध जहर के रूप में संदर्भित किया.
The hate story carried on a Noida TV channel against minority candidates joining IAS /IPS is dangerous bigotry. We refrain from retweeting it because it is pure venom. We hope #NewsBroadcastingStandardsAuthority, #UPPolice and concerned government authorities take strict action.
— Indian Police Foundation (@IPF_ORG) August 27, 2020
A news story targeting candidates in civil services on the basis of religion is being promoted by Sudarshan TV.
We condemn the communal and irresponsible piece of journalism.
— IPS Association (@IPS_Association) August 27, 2020
सरकार ने दी थी इज़ाज़त
शो के प्रोमो को लेकर शिकायतों पर कदम उठाते हुए सूचना और प्रसारण मंत्रालय ने सुदर्शन न्यूज को एक नोटिस जारी किया और केबल टेलीविजन नेटवर्क नियम 1994 के तहत वर्णित कार्यक्रम संहिता के संदर्भ में शो के बारे में स्पष्टीकरण देने को कहा था।
मंत्रालय ने अपने आदेश में कहा कि दिल्ली हाई कोर्ट ने चैनल को 28 अगस्त को रात आठ बजे कार्यक्रम के प्रसारण से रोक दिया था। अदालत ने चैनल को मंत्रालय के नोटिस पर अपना जवाब देने को कहा था।
मंत्रालय के नौ सितंबर की तारीख वाले आदेश में हाई कोर्ट के निर्देशों का भी जिक्र किया गया है। आदेश में कहा गया, ‘‘नियम के मुताबिक टीवी चैनलों पर प्रसारित किए जाने वाले कार्यक्रमों (फिल्मों, फिल्मी गाने या फिल्मी प्रोमो या फिल्म के ट्रेलर, जिन्हें सीबीएफसी से पहले प्रमाणपत्र लेना होता है) पर पहले से रोक की व्यवस्था नहीं है।’’
मंत्रालय ने कहा कि चैनल ने अपने लिखित जवाब में कहा है कि प्रस्तावित कार्यक्रम कानून का उल्लंघन नहीं करता है और कार्यक्रम नियमों का उल्लंघन करे तो कानून के तहत कार्रवाई की जा सकती है।
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