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उत्तर प्रदेश में नए संविदा नियम के विरोध में आंदोलन, पुलिस पर पथराव के बाद लाठीचार्ज
Image Credits: Gorakhpur News
September 18, 2020
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उत्तर प्रदेश में सरकारी नौकरियों में शुरुआती 5 वर्ष तक संविदा कर्मी के रूप में तैनाती के प्रस्ताव के विरोध में अब छात्र और युवा सड़कों पर उतरने लगे हैं. गुरुवार को उत्तर प्रदेश के कई जिलों में युवाओं ने योगी सरकार के इस प्रस्ताव का विरोध किया. इस दौरान पुलिस और युवाओं के बीच झड़प भी हुई. प्रयागराज के बालसन चौराहे पर सरकारी नौकरियों में संविदा नियुक्ति के प्रस्ताव का विरोध कर रहे प्रतियोगी छात्रों पर पुलिस ने हल्का बल प्रयोग किया. इसके बाद पुलिस और प्रदर्शनकारी छात्रों के बीच झड़प हो गई. प्रदर्शनकारियों ने पुलिस की गाड़ियों पर पथराव किया.
क्या है उत्तर प्रदेश सरकार का नया नियम?
नए प्रस्ताव के मुताबिक, उत्तर प्रदेश में ग्रुप बी और सी की नौकरियों के लिए अब संविदा पर भर्ती की जाएगी. यानी कि पहले भर्ती निकाली जाएगी. लोगों का सेलेक्शन होगा. फिर पांच साल के कॉन्ट्रैक्ट पर काम कराया जाएगा. इन पांच साल में हर छह महीने पर एक टेस्ट लिया जाएगा, जिसमें कम से कम 60 फीसद अंक पाना अनिवार्य होगा. दो छमाही में इससे कम अंक लाने वाले लोगों को सेवा से बाहर कर दिया जाएगा. अमर उजाला अखबार की खबर के मुताबिक पांच साल की संविदा के दौरान किए गए काम को Measurable Key Performance Indicator यानी MKPI के पैमाने पर मापा जाएगा. सरकार MKPI फॉर्मूला भी तय कर रही है.
पांचवें साल छह महीने की ट्रेनिंग भी दी जाएगी. इसके अलावा संविदा पर नियुक्ति के दौरान मूल पदनाम के बजाय सहायक पदनाम दिया जाएगा. जैसे शिक्षक के लिए सहायक शिक्षक. संविदा पर नियुक्ति के दौरान यूपी सरकारी सेवक अनुशासन एवं अपील नियमावली 1999 भी लागू नहीं होगी. इस दौरान किसी भी तरह का सर्विस बेनिफिट नहीं दिया जाएगा. जो लोग 5 साल की संविदा नियुक्ति पूरी कर लेंगे, फिर उन्हें परमानेंट कर दिया जाएगा. नई व्यवस्था को लागू करने के पीछे सरकार का तर्क ये है कि इससे कर्मचारियों की कार्य-क्षमता बढ़ेगी और सरकार पर आर्थिक बोझ भी कम होगा.
वर्तमान में क्या है नियुक्ति के नियम?
अभी अलग-अलग संवर्ग की सेवा नियमावली के अनुसार सेलेक्ट हुए लोग एक से दो साल के प्रोबेशन पर सीनियर अधिकारियों के निगरानी में काम करते हैं. इस दौरान उन्हें वेतन और दूसरे सभी सर्विस बेनिफिट दिए जाते हैं. प्रोबेशन पूरा होने पर इन कर्मचारियों को नियमित कर दिया जाता है. 1 अप्रैल 2019 को उत्तर प्रदेश में ग्रुब बी के अंतर्गत आने वाले कर्मचारियों की संख्या 58,859 जबकि ग्रुप सी के अंतर्गत आने वाले कर्मचारियों की संख्या 8 लाख 17 हजार 613 बताई गई थी.
नए नियम के विरोध में आंदोलन?
मीडिया रिपोर्टस के मुताबिक, सिविल लाइंस में लोकसेवा आयोग कार्यालय के पास गुरुवार को एनएसयूआई के कार्यकर्ताओं ने प्रदर्शन किया. इसमें आम युवा भी शामिल हुए. इस दौरान पुलिस ने उन्हें हटाने की कोशिश की, तो भिड़ंत हो गई. इसके बाद पुलिस ने लाठीचार्ज कर दिया. बताया जा रहा है कि एनएसयूआई के कार्यकर्ताओं ने पथराव कर दिया. इस दौरान कई वाहनों में तोड़फोड़ की गई. भारद्वाज चौराहे से लेकर आनंद भवन तक खूब हंगामा हुआ.
Prayagraj: People protesting against UP govt's proposal of a mandatory five-year contractual service in government jobs, resort to stone pelting. Police have detained a few protestors. pic.twitter.com/dbmXXn236N
— ANI UP (@ANINewsUP) September 17, 2020
विपक्षी नेताओं ने भी घेरा
कांग्रेस की महासचिव प्रियंका गांधी ने ट्वीट किया, ‘5 साल संविदा कानून एक काला कानून है. युवाओं की भर्तियों पर ताला लगाना अन्याय है. इस अन्याय के खिलाफ युवा अपना हक मांगने के लिए सड़कों पर उतर रहे हैं तो उनकी बात सुननी चाहिए. आपकी लाठी इस युवा ललकार को दबा नहीं सकती.’
5 साल संविदा कानून एक काला कानून है।
युवाओं की भर्तियों पर ताला लगाना अन्याय है।इस अन्याय के खिलाफ युवा अपना हक मांगने के लिए सड़कों पर उतर रहे हैं तो उनकी बात सुननी चाहिए।
आपकी लाठी इस युवा ललकार को दबा नहीं सकती।#राष्ट्रीय_बेरोजगार_दिवस #NationalUnemploymentDay pic.twitter.com/EJMFj7B3WI
— Priyanka Gandhi Vadra (@priyankagandhi) September 17, 2020
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