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स्कूल फीस न भरने के कारण निजी स्कूल ने शिक्षा मंत्री की नातिन का नाम काटा
Image Credits: Patrika/Prabhat Khabar
September 20, 2020
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कोरोना महामारी के दौर में लोगों की जेब पर सबसे ज्यादा असर पड़ा है. लाखों लोग बेरोजगार हुए हैं और अपनी रोजी रोटी चलाना भी उनके लिए मुश्किल हो गया. इसीलिए सरकार की तरफ से स्कूलों को ये निर्देश जारी किए गए थे कि वो सिर्फ ट्यूशन फीस ही लें और हो सके तो जल्दी फीस भरने का दबाव न बनाया जाए. मगर पढ़ाई छूटने के 25 साल बाद इंटर में खुद के नामांकन को लेकर चर्चित झारखंड के शिक्षा मंत्री जगरनाथ महतो की नतनी ( बेटी की बेटी) का ही नाम स्कूल से कट गया। उनकी नतनी रिया, चास (बोकारो) के दिल्ली पब्लिक स्कूल ( डीपीएस) के कक्षा चार में पढ़ती है। कोरोना काल में पढ़ाई ऑनलाइन चल रही थी मगर फीस जमा नहीं होने के कारण ऑनलाइन क्लास से उसका नाम काट दिया गया। हालांकि कोरोना को देखते हुए शिक्षा मंत्री जगरनाथ महतो ने स्कूलों को आदेश दिया था कि इस अवधि में फीस जमा नहीं होने के बावजूद किसी का नाम नहीं काटा जायेगा।
मगर निजी स्कूलों की मनमानी का शिकार खुद शिक्षा मंत्री का परिवार हो गया। बेटी से इसकी जानकारी मिली तो अंतत: खुद स्कूल गये और अप्रैल से सितंबर तक का 22800 रुपये जमा कराया। एक निजी चैनल से बातचीत में उन्होंने कहा कि स्कूल में मैं अभिभावक की भूमिका में आया हूं। उस समय जिला शिक्षा पदाधिकारी भी मौजूद थीं। उन्होंने मामले की जांच का आदेश दिया है।
नातिन का फीस जमा कराने पहुंचे शिक्षा मंत्री से सवाल किया गया कि आप मंत्री हैं, आपके पास पैसे हैं और आपके फोन करने के बावजूद बच्ची का नाम हटा दिया गया, ऐसे में आम जनता का क्या होगा? इस सवाल के जवाब में शिक्षा मंत्री ने कहा कि आपके सवालों और जनता की परेशानियों की जानकारी अखबारों और टीवी के जरिए मुझे मिलती रहती है। इसलिए मैं खुद ही मामले की जांच करने स्कूल आ गया। उन्होंने कहा कि प्राइवेट स्कूल किन-किन मदों में फीस की वसूली करते हैं, इस मुद्दे को कैबिनेट की बैठक में उठाएंगे और फीस वसूली की जांच भी करवाएंगे।
वहीं इस पूरे मामले को लेकर स्कूल की प्रिंसिपल शैलजा जयकुमार ने कहा कि बच्ची का नाम नहीं काटा गया था। उन्होंने कहा कि बच्ची चौथी क्लास में है, इसीलिए उसे वॉट्सऐप पर ही काम दिया जाता है, ऑनलाइन क्लास सिर्फ डाउट क्लियर करने के लिए होती है। थोड़ा मिस कम्युनिकेशन हुआ है। बच्ची ने रेगुलर क्लास अटेंड की हैं।
इस प्रकरण पर भाजपा प्रवक्ता कुणाल षाडंगी ने तंज कसते हुए कहा कि यह हिम्मती नहीं मजबूर सरकार है। सरकार को निजी स्कूलों की मनमानी का आइना दिखाने के लिए यह घटना पर्याप्त है। यह तो एक उदाहरण है। हजारों अभिभावक रोज इस तरह के दोहन के शिकार हो रहे हैं। प्राइवेट स्कूलों की माफियागिरी के आगे शिक्षा मंत्री बिना दांत और नख के शेर हैं।
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