
ख़बरें
वीडियो देखें, झारखण्ड में पुलिसवाले ही पुलिसवालों पर लाठी क्यों बरसा रहे हैं ?
September 20, 2020
SHARES
झारखण्ड की राजधानी रांची में शुक्रवार 18 सितंबर को पुलिसकर्मियों ने अपने ही साथी यानी सहायक पुलिसकर्मियों पर लाठीचार्ज कर दिया. क्यों? क्योंकि लगभग 2500 सहायक पुलिसकर्मियों का तीन साल का कॉन्ट्रैक्ट खत्म हो चुका है. और ये नौकरी को स्थायी करने की मांग कर रहे हैं. इसी मांग को लेकर ये पिछले एक सप्ताह से रांची के मोरहाबादी में धरना दे रहे थे. शुक्रवार को जब ये सीएम हाउस का घेराव करने जा रहे थे, पुलिस ने इनपर लाठीचार्ज कर दिया.
#WATCH Jharkhand: Clash broke out between state police and protesting assistant police personnel in Ranchi, during their demonstration demanding regularisation of their jobs.
Police lathi-charged & fired tear gas to disperse the protestors. pic.twitter.com/uuOazB8C4S
— ANI (@ANI) September 18, 2020
रांची के मोराबादी मैदान में स्थायीकरण की मांग को लेकर आंदोलन कर रहे सहायक पुलिस कर्मियों का सब्र शुक्रवार को टूट गया. मैदान के बाहर की जा रही बैरिकेडिंग से नाराज होकर पुलिस और सहायक पुलिस कर्मियों के बीच भिड़ंत हो गई. इस दौरान कई बैरिकेडिंग को उखाड़ दिया गया. हालात अनियंत्रित होते देख पुलिस ने लाठीचार्ज कर दिया। आंसू गैस के गोले छोड़े गए. दोनों तरफ से पत्थरबाजी भी शुरू हो गई. इसमें दोनों ओर से पुलिस कर्मी घायल हुए हैं. मिली जानकारी के मुताबिक इनमें दो दर्जन से अधिक पुलिस कर्मी शामिल हैं. इसके अलावा पुलिसकर्मियों को भी चोटें आई हैं. रांची जिला प्रशासन और वरीय पुलिस अधीक्षक सुरेंद्र झा खुद मौके पर पहुंच गए हैं.
बता दें कि सहायक पुलिस कर्मी अपनी मांग को लेकर मुख्यमंत्री आवास जा रहे थे. तभी मोराबादी मैदान से जैसे ही निकले पुलिस वालों ने लाठीचार्ज कर दिया। गौरतलब है कि स्थायीकरण की मांग को लेकर पिछले 1 सप्ताह से सहायक पुलिस कर्मी आंदोलनरत है. आंसू गैस के गोले चलें दोनों तरफ से पत्थरबाजी हुई इस घटना में दो दर्जन से अधिक सहायक पुलिसकर्मी घायल हुए हैं. घायलों को एंबुलेंस और अन्य पुलिस के वाहन से रिम्स ले जाया जा रहा है.
मामला क्या है?
प्रभात ख़बर के अनुसार झारखंड के ढाई हजार सहायक पुलिस अपनी मांगों को लेकर 11 सितम्बर से सामूहिक हड़ताल पर हैं. इससे पहले इन्होंने काला बिल्ला लगाकर काम करते हुए विरोध दर्ज कराया था. तीन वर्ष बाद स्थायी बहाली के आश्वासन पर इन्हें वर्ष 2017 में सहायक पुलिस के रूप में नियुक्त किया गया था. सहायक पुलिस के पद पर काम कर रहे कर्मियों का कहना है कि उनकी बहाली तत्कालीन रघुवर सरकार के समय वर्ष 2017 में हुई थी. पूरे राज्य में 2500 सहायक पुलिस की बहाली की हुई थी. इनमें 800 महिलाएं हैं.
झारखंड की हेमंत सरकार ने राज्य के सभी 24 जिलों के एसपी से मंतव्य मांगा है कि इनकी उपयोगिता क्या है ? उसके बाद ही इस पर निर्णय लिया जायेगा. इधर सहायक पुलिस का कहना है कि उन्हें पिछले 3 वर्षों से सिर्फ 10 हजार रुपये मानदेय पर रखकर काम लिया जाता रहा है. वह अपना भविष्य देखते हुए काम कर रहे थे. दूसरे कार्यों को छोड़कर इन्होंने इस पद पर सेवा दी है और अब झारखंड सरकार उनसे पीछा छुड़ाना चाहती है.
इस पूरे मामले पर पूर्वमुख्यमंत्री रघुवर दास ने ट्वीट किया है. उन्होंने इसे दुर्भाग्यपूर्ण बताया है.
नक्सलियों और अपराधियों के सामने पस्त झारखंड सरकार अपने डंडे का जोर निहत्थे सहायक पुलिसकर्मियों आजमा रही है। यह राज्य सरकार की दमनकारी नीति है। अपनी जायज मांगों के लिए आंदोलन कर रहे हमारे आदिवासी-मूलवासी सहायक पुलिसकर्मियों पर लाठीचार्ज व आंसू गैस का प्रयोग करना घोर निंदनीय है। pic.twitter.com/CK3VQs0chq
— Raghubar Das (@dasraghubar) September 18, 2020
स्थानीय अखबार के मुताबिक ये सभी पुलिसकर्मी नक्सल प्रभावित जिलों के ग्रामीण इलाकों के युवा हैं. इन्हें हथियार चलाने के अलावा सबकुछ सिखाया गया. दंगा से लेकर मेला तक, कोविड से लेकर ट्रैफिक संभालने तक में ड्यूटी लगाई गई. कहा गया था कि जिनका परफॉर्मेंस अच्छा रहा, तीन साल बाद उनकी नौकरी स्थायी कर दी जाएगी. इस पूरे मुद्दे को लेकर इनकी प्रशासन से दो बार बातचीत भी हुई है, लेकिन कोई हल नहीं निकला. अब ये बीते 11 सितंबर से धरना दे रहे थे फिर लाठीचार्ज हो गया.
अपने विचारों को साझा करें