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प्राइवेट ट्रेन तय करेंगी अपना किराया, सरकार देगी छूट
September 20, 2020
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आने वाले दिनों में जहां देश में प्राइवेट ट्रेनें शुरू होने जा रही है, वहीं इन ट्रेनों से यात्रा करना महंगा साबित होने वाला है. असल में एयरलाइसं कंपनियों की तर्ज पर प्राइवेट ट्रेनें भी अपना किराया खुद तय कर सकेंगी. ब्लूमबर्ग की रिपोर्ट के मुताबिक देश में प्राइवेट ट्रेनें शुरू होने के बाद सरकार उन ट्रेनों को आपरेट करने वाली कंपनियों को इस तरह की छूट देने जा रही है.
किराया अब कंपनियां निर्धारित करेंगी
एनडीटीवी के अनुसार रेलवे बोर्ड के अध्यक्ष वीके यादव ने कहा कि ट्रेनों का संचालन करने वाली निजी कंपनियों को अपने स्तर पर किराया निर्धारित करने की आजादी दी गई है. हालांकि, उन्होंने स्पष्ट किया कि कंपनियों को उन मार्गों पर चलने वाली वातानुकूलित बस और विमाना सेवाओं को ध्यान में रखते हुए ही अपना किराया तय करना होगा.
ऐसे में यह तय है कि निजी कंपनियां अपने सुविधाओं के हिसाब से अन्य ट्रेनों की तुलना में अधिक किराया वसूलेगी.
अध्यक्ष यादव ने कहा कि जुलाई में निजी कंपनियों से देश के 109 मार्गों पर 151 ट्रेनें संचालित करने के लिए रुचि के अनुसार प्रस्ताव भेजने को कहा था. इसके अलावा दिल्ली और मुंबई सहित अन्य रेलवे स्टेशनों को आधुनिक बनाने के लिए भी प्रस्ताव मांगे थे.
बता दें रेलवे ने 2022-23 में 12, साल 2023-24 में 45, साल 2025-26 में 50 और इसके अगले साल में 44 निजी ट्रेनों सहित कुल 151 ट्रेनों के संचालन की योजना बनाई है। यादव ने कहा कि एल्सटॉम, बॉम्बार्डियर इंक, जीएमआर इन्फ्रास्ट्रक्चर लिमिटेड और अडानी एंटरप्राइजेज लिमिटेड ने इन परियोजनाओं में रुचि दिखाई है. भारत के रेल मंत्रालय के अनुमान के अनुसार, ये परियोजनाएं अगले 5 साल में 7.5 बिलियन डॉलर से अधिक के निवेश ला सकती हैं.
रेलवे के अनुसार निजी कंपनियों द्वारा संचालित की जाने वाली ट्रेनों में से 70 प्रतिशत भारत में ही तैयार होगी. इनको 160 किलोमीटर प्रति घंटे की अधिकतम रफ्तार से चलने लायक बनाया जाएगा.
130 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से सफर के समय में 10 से 15 प्रतिशत तथा 160 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से सफर के समय में करीब 30 प्रतिशत की कमी आएगी. कुल मिलाकर यात्रियों का समय बचेगा। इन ट्रेनों में 16 कोच होंगे.
मोदी सरकार ने उठाया बड़ा कदम
भारत में रेलवे का किराया राजनीतिक रूप से संवेदनशील मुद्दा रहा है. भारत में हर दिन आस्ट्रेलिया की आबादी के बराबर यात्री ट्रेनों से यात्रा करते हैं. देश के गरीबों का बड़ा हिस्सा परिवहन के लिए रेलवे के व्यापक नेटवर्क पर निर्भर करता है. ब्लूमबर्ग की रिपोर्ट के मुताबिक दशकों से चली आ रही लापरवाही और इनएफिसिएंट ब्यूरोक्रेसी की वजह से मोदी सरकार ने निजी कंपनियों को स्टेशनों के आधुनिकीकरण से लेकर ट्रेनों परिचालन ट्रेनों तक में भाग लेने के लिए आमंत्रित किया है.
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