
ख़बरें
सरकार से किस बात पर नाखुश होकर श्रीनगर में धरने पर बैठे हैं कश्मीरी पंडित?
Image Credits: Twitter/PoojaShali
September 23, 2020
SHARES
कश्मीरी पंडित संघर्ष समिति (केपीएसएस) के अध्यक्ष संजय टिकू कश्मीर के गैर-प्रवासी पंडित समुदाय के अधिकारों के लिए श्रीनगर शहर के ऐतिहासिक गणपतियार मंदिर में अनशन पर हैं. श्रीनगर के डाउनटाउन इलाके में स्थित गणेश मंदिर परिसर में कश्मीरी पंडित संघर्ष समिति के बैनर तले कश्मीरी पंडित समुदाय के लोगों ने जम्मू-कश्मीर के आपदा प्रबंधन, राहत, पुनर्वास और पुनर्निर्माण विभाग की नीतियों के खिलाफ भूख हड़ताल शुरू की है. उन्होंने आरोप लगाया कि विभाग की नीतियों द्वारा उन 808 कश्मीरी पंडित परिवारों का जीना दुश्वार हो गया है, जिन्होंने 90 के दशक में यहां से पलायन नहीं किया था.
A group of Kashmiri Pandits in Srinagar are on sit-in protest against local administration demanding employment promises to be fulfilled.
KPSS President, Sanjay Tickoo, is on fast-unto-death- alleging Hindus in valley are being ignored by officials. pic.twitter.com/Hfjj1e4bxf— Pooja Shali (@PoojaShali) September 21, 2020
उपेक्षा का आरोप
न्यूज़ 18 के मुताबिक समिति के अध्यक्ष संजय तिक्कू ने कहा कि धारा-370 और 35-A के हटने के बाद से कश्मीरी हिंदुओं को राहत विभाग के हाथों उत्पीड़न और अलगाव का सामना करना पड़ रहा है. जून 2020 से कई बार भ्रष्ट कर्मचरियों के बारे में प्रशासन को अवगत कराया गया है, लेकिन अब तक कोई एक्शन नहीं लिया गया है. उन्होंने आरोप लगाया कि विभाग की गलत नीतियों के चलते उन 808 कश्मीरी पंडित परिवारों का जीना मुश्किल हो गया है, जिन्होंने 90 के दशक में यहां से पलायन नहीं किया था. समिति ने मांग उठाई है कि बेरोजगार शिक्षित कश्मीरी पंडित और युवाओं को नौकरियां दी जाएं. साथ ही 808 गैर प्रवासी कश्मीरी पंडित परिवारों को मासिक वित्तीय मदद की जाए.
2017 में मोदी सरकार के पहले कार्यकाल में कश्मीरी विस्थापितों के लिए बनाए गए प्रधानमंत्री पुनर्वास योजना में आर्थिक मदद, शिक्षण संस्थानों और नौकरियों में आरक्षण की घोषणा की थी. 2017 में ऐसे कश्मीरी पंडितों के लिए जिन्होंने पलायन नहीं किया था, 560 नौकरियां आरक्षित रखी गईं, लेकिन तीन साल गुजरने के बाद भी कोई भर्ती नहीं हुई.
उन्होंने कहा कि कश्मीरी पंडितों ने प्रधानमंत्री के पुनर्वास पैकेज में गैर-प्रवासी पंडितों को शामिल करने के लिए 2013 में उच्च न्यायालय में मामला दायर किया था.
टिकू ने कहा, अदालत ने केंद्र और राज्य को हमारी मांगों पर विचार करने के लिए निर्देश दिए. हम कश्मीरी पंडितों की वापसी और पुनर्वास के लिए पीएम के पैकेज में शामिल थे.
उन्होंने कहा कि एसआरओ 425 के तहत गैर-प्रवासी कश्मीरी पंडितों के लिए 500 सरकारी नौकरियों का कोटा रखा गया था लेकिन प्रक्रिया बिना किसी कारण के रुकी हुई है.
मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार 34 साल के कश्मीरी पंडित भूपिंदर सिंह जामवाल ने MA-M.ED की पढ़ाई पूरी की है, लेकिन नौकरी के लिए तरस रहे हैं. दक्षिण कश्मीर के आतंकवाद ग्रस्त कुलगाम के तंगबल के रहने वाले भूपिंदर ने कठिन परिस्थितियों में पढ़ाई पूरी की. ऐसे हालात में जहां कॉलेज में वह सैंकड़ों बच्चों में अकेले हिन्दू थे और हालात के चलते ना तो कॉलेज ही जा सकते थे और ना ही ट्यूशन. इसीलिए आज वह समझ नहीं पा रहे कि प्रधानमंत्री और गृह मंत्री के आदेश के बाद भी उनको नौकरी क्यों नहीं मिली.
कश्मीर से पलायन नहीं करने वाले हिन्दुओं के इसी संघर्ष को आगे बढ़ाने के लिए ही KPSS का घठन हुआ और ऐसे कश्मीरी पंडित परिवारों, जिन्होंने 1990 में आतंकी खतरे और धमकियों के बावजूद कश्मीर में ही रहने का फैसला लिया, उनके हक की लडाई लड़ता आ रहा है. लेकिन आज इस संगठन के लोग इस बात से खफा हैं कि 370 और 35A के हटने के बाद कश्मीर सीधे प्रधानमंत्री और गृह मंत्री के अधीन हो गया, लेकिन कश्मीरी पंडित परेशानियों के बीच चले गए.
अपने विचारों को साझा करें