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पूर्व केंद्रीय मंत्री और भाजपा के दिग्गज नेता जसवंत का सिंह का निधन
September 27, 2020
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पूर्व केंद्रीय मंत्री और भाजपा के दिग्गज नेता जसवंत का सिंह का निधन हो गया है। वह कई महीनों से बीमार चल रहे थे। उन्होंने अटल बिहारी वाजपेयी के नेतृत्व में बनी राष्ट्रीय लोकतांत्रिक गठबंधन (NDA) में कई अहम जिम्मेदारियां संभालीं थीं।
जसवंत सिंह 82 साल के थे। उनके निधन पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी शोक व्यक्त किया है।
पीएम मोदी ने ट्वीट कर कहा कि जसवंत सिंह जी ने पूरी लगन के साथ हमारे देश की सेवा की। पहले एक सैनिक के तौर पर और बाद में राजनीति के साथ अपने लंबे जुड़ाव के दौरान।
Jaswant Singh Ji served our nation diligently, first as a soldier and later during his long association with politics. During Atal Ji’s Government, he handled crucial portfolios and left a strong mark in the worlds of finance, defence and external affairs. Saddened by his demise.
— Narendra Modi (@narendramodi) September 27, 2020
प्रधानमंत्री ने कहा कि अटल जी की सरकार के दौरान उन्होंने महत्वपूर्ण विभागों को संभाला और वित्त, रक्षा और विदेश मामलों की दुनिया में एक मजबूत छाप छोड़ी। उनके निधन से दुखी हूं।
वहीं, रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने कहा कि जसवंत सिंह को उनकी बौद्धिक क्षमताओं और देश की सेवा के लिए याद किया जाएगा। उन्होंने राजस्थान में भाजपा को मजबूत करने में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। इस दुख की घड़ी में उनके परिवार और समर्थकों के प्रति संवेदना।
Shri Jaswant Singh ji would be remembered for his intellectual capabilities and stellar record in service to the nation. He also played a key role in strengthening the BJP in Rajasthan. Condolences to his family and supporters in this sad hour. Om Shanti.
— Rajnath Singh (@rajnathsingh) September 27, 2020
सेना से राजनीति में पदार्पण
जसवंत सिंह 1960 में सेना में मेजर के पद से इस्तीफा देकर सियासत के मैदान में उतरे थे। अटल बिहारी वाजपेयी के नेतृत्व वाली एनडीए सरकार में वह अपने कैरियर के शीर्ष पर थे। 1998 से 2004 तक राजग के शासनकाल में जसवंत ने वित्त, रक्षा और विदेश मंत्रालयों का नेतृत्व किया।
1938 में राजस्थान के बाड़मेर में जन्मे जसवंत सिंह अजमेर के मेयो कॉलेज से पढ़ाई करने के बाद कम उम्र में ही सेना में शामिल हो गए थे। 1966 में वह पहली बार राजनीति के मैदान में उतरे और राजस्थान के दिग्गज नेता भैरो सिंह शेखावत की छत्रछाया में आगे बढ़ते हुए 1980 में पहली बार राज्यसभा सांसद बने।
वह भाजपा के संस्थापक सदस्यों में से एक थे और लोकसभा और राज्यसभा दोनों सदनों में उन्होंने पार्टी का नेतृत्व किया।
रक्षा, वित्त और विदेश मंत्रालय का किया नेतृत्व
1996 से 2004 के बीच अटल बिहारी वाजपेयी के नेतृत्व में बनी NDA सरकारों में जसवंत ने रक्षा, विदेश और वित्त जैसे बेहद अहम मंत्रालय संभाले। संकटमोचक की भूमिका निभाने के कारण उन्हें वाजपेयी का हनुमान कहा जाता था।
1998 में परमाणु परीक्षण के बाद दुनिया को साधने का जिम्मा वाजपेयी ने उन्हें ही दिया था और ये काम उन्होंने बखूबी किया। वहीं कंधार विमान अपहरण के समय वह विदेश मंत्री थे और आतंकियों को कंधार छोड़ने वही गए थे।
शांतिप्रिय नेता
जसवंत भारत, पाकिस्तान और बांग्लादेश के बीच शांति के बड़े समर्थक थे और इसके लिए तमाम प्रत्यत्न भी किए। उन्होंने मोहम्मद अली जिन्ना पर एक विवादित किताब भी लिखी थी जिसके बाद 2009 में उन्हें पार्टी से बाहर कर दिया गया था।
2014 लोकसभा चुनाव में उन्होंने पार्टी से बाड़मेर-जैसलमेर से टिकट मांगा, लेकिन जब पार्टी ने उन्हें टिकट नहीं दिया तो बागी होकर लड़े और हार गए। इसके कुछ दिन बाद बाथरूम में गिरकर वह कोमा में चले गए।
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