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सेना रिपोर्ट: 2014 से 2020 तक 960 करोड़ रुपए के खराब हथियार खरीदे गए जो कि 100 बेहतरीन तोप के बराबर
September 30, 2020
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ऐसे समय जब चीनी सीमा पर तनाव बढ़ा हुआ हो सेना की युद्ध की तैयारियों पर सवाल उठ रहे हों, यह ख़बर चौंकाने वाली है कि भारतीय सेना ने खराब गोले बारूद पर 960 करोड़ रुपए खर्च कर दिए। उतने में 100 बेहतरीन तोपें आ जातीं। ये बात सेना की आंतरिक जांच कमेटी ने डिफेंस मिनिस्ट्री को सौंपी रिपोर्ट में ये बात कही है। सेना के पास हथियार और दूसरे उपकरण न होने पर चर्चा तो पहले भी हुई है, पर खराब गोले बारूद के चक्कर में इतनी बड़ी रकम बेकार होने की बात सबको चौंकाती है।
इंडिया टुडे टीवी ने एक ख़बर में कहा है कि रक्षा मंत्रालय की एक रिपोर्ट में इन खराब गोले बारूद की बात कही गई है। रक्षा उत्पादन विभाग की रिपोर्ट में कहा गया है कि ऑर्डिनेंस फ़ैक्ट्री बोर्ड ने ये गोले बारूद 2014 और 2020 के बीच सेना को दिए थे। इन ग़लत और दोषपूर्ण गोले बारूदों में 23 मिमी एअर डिफेन्स शेल, आर्टिलरी शेल, 125 मिमी टैंक के गोले और इनफ़ैन्ट्री की बंदूकों की कई तरह की गोलियाँ शामिल हैं।
इंडिया टुडे टीवी ने एक ख़बर में कहा है कि रक्षा मंत्रालय की एक रिपोर्ट में इन खराब गोले बारूद की बात कही गई है। रक्षा उत्पादन विभाग की रिपोर्ट में कहा गया है कि ऑर्डिनेंस फ़ैक्ट्री बोर्ड ने ये गोले बारूद 2014 और 2020 के बीच सेना को दिए थे। इन ग़लत और दोषपूर्ण गोले बारूदों में 23 मिमी एअर डिफेन्स शेल, आर्टिलरी शेल, 125 मिमी टैंक के गोले और इनफ़ैन्ट्री की बंदूकों की कई तरह की गोलियाँ शामिल हैं।
इस आंकलन रिपोर्ट में कहा गया कि कुछ मित्र देशों ने भी ओएफबी उत्पादों को गुणवत्ता के आधार पर स्वीकार करने से मना कर दिया था और इसका निगमीकरण ही आगे बढ़ने का एकमात्र तरीका था। सेना के प्रवक्ता ने टिप्पणी करने से इनकार कर दिया, जबकि ओएफबी के प्रवक्ता गगन चतुर्वेदी ने कहा कि सेना का आकलन तथ्यात्मक रूप से सही नहीं है और बोर्ड बुधवार को एक बयान जारी करेगा।
सेना के नोट में कहा गया है कि यह चिंता का विषय है कि कुछ देशों ने उत्पादन की गुणवत्ता, फैक्ट्री प्रोसीजर और सेल्स के बाद सर्विस चिंताओं के कारण ऑर्डिनेंस फै.क्ट्री-निर्मित गोला-बारूद और उपकरणों को स्वीकार करने से इनकार कर दिया है।
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