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हाथरस: सीएमओ ने कहा ’11 दिन बाद लिए गए नमूने के आधार पर FSL रिपोर्ट की कोई वैल्यू नहीं’
Image Credits: The Statesman
October 5, 2020
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उत्तर प्रदेश के हाथरस जिले में बीते दिनों कथित गैंगरेप और दरिंदगी से 19 साल की लड़की की मौत के मामले में देशभर में आक्रोश है. हालांकि, यूपी पुलिस पोस्टमार्टम रिपोर्ट में गैंगरेप की बात से इनकार कर रही है. 14 सितंबर को हुई वारदात के बाद पीड़िता को दो हफ्ते के लिए अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी के जवाहरलाल नेहरू मेडिकल कॉलेज में एडमिट कराया गया था. यहां के चीफ मेडिकल ऑफिसर का कहना है एफएसएल रिपोर्ट जिसके आधार पर यूपी पुलिस लड़की के साथ गैंगरेप नहीं होने का दावा कर रही है, उसके सैंपल वारदात के 11 दिन बाद लिए गए थे. ऐसे में इस रिपोर्ट की कोई वैल्यू नहीं है.
इंडियन एक्सप्रेस के मुताबिक सीएमओ डॉ. अजीम मलिक कहते हैं कि पीड़िता के साथ कथित तौर पर गैंगरेप के 11 दिन बाद नमूने इकट्ठे किए गए, जबकि सरकारी दिशा-निर्देशों में सख्ती से कहा गया है कि घटना के 96 घंटों के बाद ही फॉरेंसिक साक्ष्य मिल सकते हैं. यह रिपोर्ट इस घटना में बलात्कार की पुष्टि नहीं कर सकती.
19 साल की दलित पर 14 सितंबर को 4 उच्च जाति के युवकों ने हमला किया था. 22 सितंबर को एएमयू अस्पताल में जब पीड़िता को होश आया तो उसने यौन हमले का विवरण दिया. जिसके बाद एक मजिस्ट्रेट के सामने पीड़िता का बयान दर्ज किया गया. इस बयान के बाद पुलिस ने बलात्कार की प्रासंगिक धाराओं को एफआईआर में जोड़ा था.

क्या कहा था यूपी पुलिस ने
द स्टेट्समैन के अनुसार पीड़िता के बयान के बाद नमूने फॉरेंसिक लैब में भेजे गए. 11 दिन बाद 25 सितंबर को ये नूमने मिले. इस एफएसएल रिपोर्ट के आधार पर पुलिस ने बयान जारी करते हुए कहा कि पीड़िता के साथ बलात्कार नहीं हुआ. गुरुवार को एक प्रेस कांफ्रेंस में एडीजी (लॉ एन्ड ऑर्डर) प्रशांत कुमार ने कहा था कि एफएसएल (फॉरेंसिक साइंस लेबोरेट्री) की रिपोर्ट के मुताबिक विसेरा के सैम्पल्स में सीमन या स्पर्म नहीं पाया गया. पोस्टमार्टम रिपोर्ट में कहा गया है कि हमले के चलते ट्रॉमा पीड़िता की मौत की वज़ह थी.
अस्पताल ने लिखा सर्किल अधिकारी को पत्र
3 अक्टूबर को, जवाहरलाल नेहरू मेडिकल कॉलेज में फोरेंसिक मेडिसिन विभाग ने हाथरस के सादाबाद पुलिस स्टेशन के सर्किल अधिकारी को इस विषय पर पत्र लिखा. इसमें अस्पताल की तरफ से डॉ. फैज अहमद और चेयर डॉ. सईद ने एफएसएल रिपोर्ट और अधिकारी के पत्र पर फाइनल नज़रिया रखा. इसमें कहा गया है कि वेजिनल/एनल इन्टरकोर्स के साक्ष्य नहीं मिले हालांकि शारीरिक तौर पर प्रताड़ना (गर्दन और पीठ पर चोट के निशान) के सबूत मिले हैं.
विश्वास करने लायक नहीं एफएसएल रिपोर्ट
जवाहरलाल नेहरू मेडिकल कॉलेज में रेजिडेंट डॉक्टर्स एसोसिएशन के अध्यक्ष डॉ. हमजा मलिक ने एफएसएल रिपोर्ट को विश्वास न करने योग्य करार दिया. उन्होंने कहा कि एफएसएल टीम को 11 दिन बाद बलात्कार के सबूत कैसे मिलेंगे? शुक्राणु 2-3 दिनों के बाद जीवित नहीं रहता है. पीरियड्स के चलते भी वीर्य की उपस्थिति नहीं रहती. 22 सितंबर को एक डॉक्टर ने मेडिकोलेगल जांच की थी और एक अनंतिम राय दी थी. पेंडिंग एसएफलएल रिपोर्ट के आधार पर नज़रिया कैसे बनाया जा सकता है.
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