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केंद्र द्वारा ज़ारी अधिसूचना के मुताबिक पीने के पानी के दुरूपयोग पर कितना जुर्माना और कितनी सजा होगी?
October 26, 2020
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केंद्र सरकार ने देश में बढ़ते पेयजल संकट को देखते हुए पानी की बर्बादी करने वालों पर नकेल कसने के लिए बड़ा सख्त कदम उठाया है।केंद्र के एक नए निर्देश के अनुसार, पीने योग्य पानी (groundwater) का दुरुपयोग भारत में 1 लाख रुपये तक के जुर्माना और 5 साल की जेल की सजा के साथ भारत में दंडनीय (punishable) अपराध होगा।
नई इंडियन एक्सप्रेस के मुताबिक जल शक्ति मंत्रालय, जल संसाधन, नदी विकास और गंगा कायाकल्प के तहत केंद्रीय भूजल प्राधिकरण (CGWA) ने पर्यावरण (संरक्षण) अधिनियम, 1986 की धारा 5 के तहत एक अधिसूचना जारी की है।
NGO ने दायर की याचिका
राजेंद्र त्यागी एंड फ्रेंड्स (एनजीओ) द्वारा एक याचिका दायर करने के बाद नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल के एक निर्देश के बाद नोटिफिकेशन आया, जिसमें पानी की बर्बादी करने और देश में दंडनीय अपराध का दुरुपयोग करने की मांग की गई थी।
मंत्रालय की ओर से जारी अधिसूचना में कहा गया है कि देश में कोई भी व्यक्ति पीने योग्य भूजल का दुरुपयोग और बर्बादी नहीं करेगा।
इसके लिए सभी राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों में जल आपूर्ति से संबंधित नागरिक निकाय, जल बोर्ड, जल निगम, जल कार्य विभाग, नगर निगम, नगर परिषद, विकास प्राधिकरण, पंचायत या कोई अन्य निकायों की जिम्मेदारी होगी। उन्हें अपने क्षेत्र में दोषियों पर कार्रवाई के लिए अनुपालन तंत्र विकसित करना होगा।
सजा क्या होगी?
मामले के अधिवक्ता आकाश वशिष्ठ ने बताया कि अधिसूचना के अनुसार पीने योग्य भूजल का दुरुपयोग और बर्बादी करने वालों पर एक लाख रुपये का जुर्माना लगाने तथा पांच साल की सजा या फिर दोनों से दंडिया किया जा सकेगा।
इसी तरह यदि किसी पर केवल जुर्माना लगाया गया है और उसके बाद भी वह पानी की बर्बाद करता है तो उस पर पर्यावरण (संरक्षण) अधिनियम की धारा 15 के तहत प्रतिदिन 5,000 रुपये के हिसाब से अतिरिक्त जुर्माना लगेगा।
एकीकृत जल संसाधन विकास पर राष्ट्रीय आयोग की रिपोर्ट के अनुसार भारत को प्रति वर्ष बारिश से कुल 4,000 बिलियन क्यूबिक मीटर (BCM) पानी मिलता है। इसमें से वाष्पीकरण के बाद स्थलाकृतिक और प्राकृतिक अपवाह के रूप में 1,869 BCM पानी ही बचता है। इसके अलावा अन्य कारणों के बाद देश में उपयोग के लायक केवल 1,122 BCM पानी ही बचता है। ऐसे में अब पानी के दुरुपयोग को बर्दाश्त नहीं किया जा सकता है।
देश में 2011 से 2025 के बीच प्रति व्यक्ति औसत वार्षिक पानी की उपलब्धता में 25 प्रतिशत की कमी आई है और यह लगातार बढ़ती जा रही है। यदि पानी का दुरुपयोग नहीं रुका तो साल 2035 तक यह बढ़कर 36 प्रतिशत पर पहुंच जाएगी।
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