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ये होम्योपैथिक डॉक्टर साइकिल पर घूम घूम कर दूर दराज़ इलाके में लोगों का इलाज कर रहे हैं
October 27, 2020
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पिछले 60 वर्षों से, महाराष्ट्र (Maharashtra) के सुशी (Chandrapur) के एक होम्योपैथिक (Homeopathic) डॉक्टर रामचंद्र दांडेकर राज्य के आदिवासी गांवों में अपनी साइकिल (Cycle) पर घूम घूम कर लोगों का इलाज करते हैं।
87 वर्षीय डॉक्टर वैसे गरीब मरीजों का इलाज कर रहे हैं जो राज्य के दूरस्थ भागों में है और शहर जा कर इलाज नहीं करा सकते हैं। अब तक, उन्होंने हजारों आदिवासी रोगियों का इलाज किया है। खास बात ये है कि उनके इलाज के एवज में फीस देना अनिवार्य नहीं किया है।
दांडेकर ने होम्योपैथी में डिप्लोमा हासिल किया था और ग्रामीण क्षेत्रों में मरीजों का इलाज करने से पहले उन्होंने शहर में एक लेक्चरर के रूप में काम किया था।
उनके जान पेहचान के एक व्यक्ति ने उन्हें शहर में शिक्षण कार्य के करने के बजाय ग्रामीण क्षेत्रों में काम करने के लिए कहा था। तब से वह आदिवासी मरीजों का निस्वार्थ भाव से इलाज कर रहे है।
मरीजों का इलाज करने के बाद उन्हें जो संतुष्टि मिलती है, वह उन्हें अपनी सेवाएं जारी रखने के लिए प्रेरित करती है। वह कहते है कि इस उम्र में भी वो थके नहीं और न ही वो रुकेंगे जीवन में उनका एकमात्र मिशन अपने रोगियों की सेवा करना है।
भले ही वह काफी बूढ़े हो, लेकिन उन्हें लगता है कि वह साइकिल (Cycle) पर यात्रा करने के लिए पर्याप्त रूप से फिट है। उनका दिन सुबह 6.30 बजे शुरू होता है। वह सिर्फ दो बैग दवाओं और कुछ परीक्षण किटों के साथ निकल पड़ते है। वह बिना जूते या चश्मे के अपनी साइकिल (Cycle) चलाते है और दोपहर 12.30- 1.00 बजे तक घर लौटते है।
दांडेकर ने कहा कि वह शाम को भी मरीजों को देखने के लिए जाते हैं, अगर ज़रूरत पड़े तो। यह दिनचर्या पिछले 60 वर्षों से ऐसी ही चली आ रही है।
कभी-कभी, वह बस से भी यात्रा करते है। वह जिन गांवों की यात्रा करते है, वे घने जंगल के साथ दूरदराज के इलाकों में स्थित हैं। इस कारण से, उन दूरस्थ इलाकों में पहुँचने के लिए साइकिल या पैदल चलना ही एकमात्र विकल्प बचा है। जितने मरीज अस्पताल में अपना इलाज कराने में सक्षम नहीं हैं, दांडेकर उनके घर पर उनका इलाज करते हैं।
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