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विभिन्न किसान यूनियन ने 5 नवंबर को सड़क नाकाबंदी का आह्वान किया
October 28, 2020
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मोदी सरकार द्वारा हाल ही में लागू किए गए कृषि से संबंधित तीन कानूनों के विरोध में किसान संगठनों (Farmer Union) ने देशव्यापी (Nationwide) आंदोलन (Protest) करने का फैसला लिया है। इस सिलसिले में दिल्ली के गुरुद्वारा रकाबगंज साहब में मंगलवार को हुई एक बैठक में आगामी 5 नवंबर को देशभर में हाईवे जाम करने का फैसला लिया गया है।
एनडीटीवी के अनुसार इस बैठक में शामिल हुए भारतीय किसान यूनियन (बीकेयू) नेता गुरनाम सिंह चढूनी ने बताया कि , “पूरे देश में काले कानूनों के विरुद्ध साझा आंदोलन करने का फैसला लिया गया है, जिसमें पांच नवंबर को 12 बजे से चार बजे तक पूरे देश में हाईवे जाम किए जाएंगे और 26 और 27 नवंबर को दिल्ली में किया जाएगा और इन आंदोलनों को मजबूती से लड़ने के लिए पांच सदस्यीय एक कमेटी बनाई गई है। इस कमेटी में पंजाब से सरदार बलबीर सिंह राजेवाल, महाराष्ट्र से राजू शेट्टी, उत्तर प्रदेश से सरदार वीएम सिंह , योगेंद्र यादव और हरियाणा से गुरनाम सिंह चढूनी शामिल हैं।
किसान नेता ने कहा कि बैठक में यह भी फैसला लिया गया है कि देश के जो अन्य संगठन जो अभी तक आंदोलन में शामिल नहीं हो सके हैं या अलग-अलग जगह पर आंदोलन कर रहे हैं, उन सभी को भी इस आंदोलन में शामिल किया जाए और उनसे मिलकर आगे बढ़ने का काम भी कमेटी करेगी।
बन चूका है कानून
बता दें कि संसद के मानसून सत्र में दोनों सदनों से पारित हुए कृषि से जुड़े तीन अहम विधेयकों, कृषक उपज व्यापार एवं वाणिज्य (संवर्धन एवं सुविधा) विधेयक 2020, कृषक (सशक्तीकरण व संरक्षण) कीमत आश्वासन और कृषि सेवा पर करार विधेयक 2020 और आवश्यक वस्तु (संशोधन) विधेयक-2020 अब कानून बन चुके हैं। सरकार का कहना है कि नये कानून से कृषि के क्षेत्र में अनुकूल बदलाव आएगा।
लेकिन किसान संगठनों का आरोप है कि इन कानूनों का फायदा किसानों को नहीं, बल्कि कॉरपोरेट को होगा। गुरनाम सिंह ने कहा कि किसान संगठनों की मांग है कि इन तीनों कानूनों को वापस लिया जाए और किसानों को उनकी फसलों के न्यूनतम समर्थन मूल्य यानी एमएसपी की गारंटी देने के लिए नया कानून बनाया जाए। पंजाब से सरदार बलबीर सिंह राजेवाल ने कहा कि किसानों को आशंका है कि उनको बिजली बिल में जो अनुदान मिल रहा है, वह भी सरकार आने वाले दिनों में समाप्त कर सकती है।
पंजाब (Punjab) में किसान संघों (Farmer Unions) ने तीन सप्ताह लंबे अपने ‘रेल रोको’ आंदोलन (Rail Roko Andolan) में नरमी लाते हुए राज्य में मालगाड़ियों को चलने देने की बुधवार को घोषणा की | किसान नेता सतनाम सिंह ने कहा कि यह निर्णय कोयले और डायमोनियम फॉस्फेट (डीएपी) उर्वरक की कमी को ध्यान में रखते हुए किया गया | उन्होंने यहां कहा, ‘‘हमने आज से पांच नवम्बर तक केवल मालगाड़ियों को चलने देने का निर्णय किया है|’’ यह घोषणा यहां विभिन्न किसान संगठनों की एक बैठक के बाद आयी |
मुख्यमंत्री अमरिंदर सिंह (CM Amarinder Singh) ने इस घोषणा का स्वागत किया और कहा कि यह राज्य की अर्थव्यवस्था और उसकी बहाली के हित में है | उन्होंने कहा कि किसानों ने इस कदम से पंजाब के लोगों के प्रति प्रेम और चिंता दिखायी है क्योंकि इससे राज्य को कोयले की आपूर्ति मिल सकेगी जिसकी उसे जरूरत थी | मुख्यमंत्री ने एक बयान में कहा कि पंजाब के लोग नाकेबंदी के चलते कोयले की कमी की वजह से बिजली संकट की स्थिति का सामना कर रहे थे | प्रदर्शनकारी किसान संघों का निर्णय उनके लिए एक बड़ी राहत के तौर पर आया है |
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