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अपने गांव का पहला डॉक्टर बनेगा कबाड़ बेचने वाले का बेटा
October 28, 2020
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कबाड़ (Scrap Dealer) का काम करने वाले के बेटे(Son) अरविंद कुमार ने नौवीं बार में मेडिकल परीक्षा (Medical Entrance) पास कर ली. अरविंद कुमार ने भारतीय स्तर पर 11603 रैंक हासिल की है और अन्य पिछड़ा वर्ग श्रेणी में उनकी 4,392 रैंक आई है.
नौवीं बार में मेडिकल परीक्षा पास होने पर उत्तर प्रदेश के कुशीनगर जिले के निवासी अरविंद कुमार ने बताया कि, उनकी 8 कोशिशें विफल हुईं, मगर फिर भी वो कभी भी मायूस नहीं हुए. उन्होंने कहा, ‘मैं नकारात्मकता को सकारात्मकता में बदलने और उससे ऊर्जा व प्रेरणा लेने की मंशा रखता हूं, इस सफलता का श्रेय मेरे परिवार, आत्मविश्वास और निरंतर कठिन परिश्रम को जाता है. उन्होंने बताया कि, उनके पिता केवल 5वीं तक पढ़ें हैं और मां ललिता देवी अनपढ़ हैं’.
अरविंद कुमार ने बताया कि, ‘मेडिकल कॉलेज में दाखिले के लिए उनका अखिल भारतीय प्रवेश परीक्षा उत्तीर्ण करना महज़ एक सपना नहीं था बल्कि उन लोगों को जवाब देने का एक तरीका था जिनके हाथों उसके परिवार ने वर्षों से अपमान झेला’. उन्होंने कहा, ‘मेरा सपना डॉक्टर बनने का था जबकि कबाड़ी का काम करने वाले मेरे पिता को अपने काम और नाम के चलते लगातार गांव वालों से अपमानित होना पड़ता था’.
एनडीटीवी से बात करते हुए अरविंद ने कहा, ‘मैं बहुत खुश हूं और मेरे परिवार को मुझ पर गर्व है क्योंकि 1500-1600 लोगों की आबादी वाले गांव में, मैं पहला डॉक्टर बनने जा रहा हूं’. उनका कहना है कि उन्हें गोरखपुर के एक मेडिकल कॉलेज में दाखिला मिलने की पूरी उम्मीद है और वह एक आर्थोपेडिक सर्जन बनना चाहते हैं.
अरविंद के पिता ने बताया कि उनके बेटे के कोटा में रहने का खर्च पूरा करने के लिए उन्हें रोजाना 12 से 15 घंटे तक काम करना पड़ता था, उन्होंने बताया कि, ‘मेरे बेटे की पढ़ाई का खर्च उठाने के लिए मैंने रोजाना 12 से 15 घंटे काम किया और छह महीने में केवल एक ही बार परिवार से मिलने के लिए कुशीनगर जा पाया’. उन्होंने कहा, ‘मेरे बेटे अरविंद ने अपने लक्ष्य को प्राप्त करने की प्रतिबद्धता को साबित कर दिया है, मुझे उसपर गर्व है’.
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