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मुंबई में कोरोना की दूसरी पीक पिछली पीक से छोटी होगी
November 4, 2020
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मुंबई (Mumbai) में कोरोना (Corona) वायरस के मामलों में अगर इस बार उछाल आता है तो यह जुलाई और सितंबर में आए उछाल से कम होगा। साथ ही उनका कहना है कि अगले साल जनवरी तक मुंबई ‘हर्ड इम्यूनिटी’ (Herd Immunity) की स्थिति में पहुंच जाएगी।
तब तक शहर की झुग्गियों में रहने वाली 80 प्रतिशत और बाकी जगहों रहने वाली 55 प्रतिशत आबादी कोरोना वायरस की चपेट में आ चुकी होगी।
टाइम्स ऑफ़ इंडिया के मुताबिक कोलाबा स्थित टाटा इंस्टीट्यूट ऑफ फंडामेंटल रिसर्च (TIFR) के वैज्ञानिकों ने मुंबई में कोरोना की स्थिति को लेकर अध्ययन किया है। इसमें 26 अक्टूबर तक के आंकड़ों के आधार पर शहर में हर्ड इम्यूनिटी विकसित होने का अनुमान लगाया गया है।
हर्ड इम्युनिटी का मतलब किसी समाज या समूह के कुछ प्रतिशत लोगों में रोग प्रतिरोधक क्षमता के विकास के माध्यम से किसी संक्रामक रोग के प्रसार को रोकना है।
अध्ययन करने वाली टीम में शामिल डॉक्टर संदीप जुनेजा कहते हैं कि अगर दीवाली के बाद मुंबई में मामले बढ़ते भी हैं तो ये उतने नहीं होंगे, जितने गणेश चतुर्थी के बाद देखे गए थे।
उन्होंने आगे कहा कि ऐसा इसलिए होगा क्योंकि अगस्त के मुकाबले अब मुंबई के ज्यादा लोग इस वायरस की चपेट मे आ चुके हैं और वो वायरस के प्रति इम्युन हो गए हैं।
हालांकि, टीम का यह भी कहना है कि अगले साल स्कूल और कॉलेज खुलने से अस्पताल में भर्ती होने वाले कोरोना संक्रमितों की संख्या में खास इजाफा देखने को नहीं मिलेगा।
जुनेजा ने कहा कि अगर जनवरी की जगह नवंबर में सारी पाबंदियां हटाई जाती हैं तो अस्पताल में भर्ती होने वाले लोगों की संख्या बढ़ेगी।
जुनेजा ने कहा कि अगर 1 फरवरी तक ग्रेटर मुंबई के 50 साल से अधिक 29.3 लाख लोगों को वैक्सीन दी जाती है तो मृतकों की संख्या में 64 प्रतिशत कमी आ सकती है।
इसके अलावा छह महीनों के भीतर अस्पताल में भर्ती होने वाले कोरोना संक्रमित मरीजों की संख्या भी 67 प्रतिशत कम हो जाएगी।
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